Friday 29 July 2011

prashant writes: पाऊस...मना मनातला, पाना पानातला !

prashant writes: पाऊस...मना मनातला, पाना पानातला !
भारत के विश्वविख्यात महान ‘ज्ञानी’ अमिताभ हरिवंश राय बच्चन का कहना है की उनके परिवार में आरक्षण के लिए कोई जगह नही है. इसके लिए उन्होने जो दलील पेश की है वह किसी भी फिलॉसॉफर से जरा भी सी कम नही है. वह कहते है की, उनके बाप ने एक पंजाबी कुडी से शादी की है. खुद उन्होने एक बंगाली कुडी से शादी की है और बेटे अभिषेक ने ऐश्वर्या से शादी की है.वाह बच्चन साहब क्या खूब सामाजिक दायित्व निभाया है आपने ! समाजने जया भादुरी को सम्मान से जिने का हक नकारा था ना ऐश्वर्या को.पिछडेपन की पिडा क्या होती है यह ना आपको पता है ना आपके बाप को ! कवितांए लिखना, सिनेमा में नाच कर पैसे कमाना अलग और पिछडेपन का कष्ट झेलना अलग है बच्चन साहब.. उस पिडा का अनुभव करने के लिए उसी समाज के तबके से गुजरना पडता है...ग्लॅमरस बालाओं के साथ शादी रचाके या मुंह को रंग लगाकर कमर हिलाने से उसे अनुभव नही किया जा सकता...एक्टींग अच्छी करने का मतलब यह तो नही होता की आप अपनी इन ग्लॅमरस शादीओं की तुलना पिछडे तबकों के लिए प्रावधान किए गए आरक्षण के साथ कर उन गरीब बेचारों के हक पर पानी छोड दे...आप आपके कुत्ते की परवरीश के लिए रोजाना जितना पैसा उडाते है, उससे आधा पैसा भी पिछडे समाज के एक परिवार के गुजारे के लिए नसीब नही होता... नाचना आपका काम है...खूब नाचो....पैसा कमाओ...उस पैसों से ऐश आराम करो... उस अमीरी के गर्व पर किसी गरीब बेचारों के आरक्षण के साथ खिलवाड मत करो... वैसे नाचने के लिए दिमाग की जादा जरूरत नही होती, जितनी किसी सामाजिक समस्या पर अपनी राय रखने के लिए होती है.....